ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर, जिसे हम संक्षेप में ASD कहते हैं।
-ASD एक जटिल न्यूरोडेवलपमेंटल विकार है जो व्यक्ति की संवेदी, सामाजिक, और व्यवहारिक क्षमताओं को प्रभावित करता है।
-इसकी पैथोफिजियोलॉजी, कारण, लक्षण, निदान, पूर्वानुमान, रोकथाम, और होम्योपैथिक प्रबंधन। साथ ही, हम भारत में इसके आंकड़ों और इसके सामाजिक प्रभाव पर भी गौर करेंगे।
ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) एक न्यूरोडेवलपमेंटल विकार है जो संचार, सामाजिक इंटरैक्शन, और व्यवहार में विभिन्न बाधाओं के साथ आता है। ASD की विशेषताएँ वैरिएटिव होती हैं, यानी हर व्यक्ति की स्थिति अलग हो सकती है।
ASD को विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है:
- क्लासिक ऑटिज़्म (कनर्वटिव ऑटिज़्म): जिसमें गंभीर संचार और सामाजिक व्यवहार की कमी होती है।आँकड़े (भारत में):
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत में 1 से 2% बच्चे ASD से प्रभावित हो सकते हैं।
- 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 5 मिलियन लोग ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर से प्रभावित हैं।
जेनेटिक कारक:- यदि परिवार में किसी सदस्य को ASD है, तो अन्य सदस्यों के इस विकार से ग्रस्त होने की संभावना अधिक होती है।
पर्यावरणीय कारक: - गर्भावस्था में विषाक्त पदार्थों के संपर्क, जैसे कि भारी धातुएं और रासायनिक पदार्थ, भी ASD के विकास में योगदान कर सकते हैं।
मनोवैज्ञानिक कारक:- मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे कि अवसाद और चिंता, भी ASD के जोखिम को बढ़ा सकती हैं।
मस्तिष्क विकास में समस्याएं: - गर्भावस्था में संक्रमण, जैसे कि जर्मन मेजिल्स या सिटोमेगालोवायरस, मस्तिष्क के विकास को प्रभावित कर सकते हैं।
सामाजिक इंटरैक्शन में कठिनाई:
- आंखों में संपर्क से बचना।
- सामाजिक संकेतों का सही तरह से समझने में कठिनाई।
संवेदी प्रोसेसिंग में असामान्यताएँ:
- कुछ व्यक्तियों को तेज आवाज़ों, रोशनी, और विशेष वस्तुओं के प्रति संवेदनशीलता हो सकती है।
- अपनी पसंद की गतिविधियों और वस्तुओं पर अत्यधिक ध्यान केंद्रित करना।
- समय पर नहीं बोलना।
- सामाजिक खेलों में रुचि नहीं होना।
- असामान्य तरीके से हँसना या रोना।
- निश्चित नियमों और रूटीन का पालन करना।
मेडिकल इतिहास और शारीरिक जांच:- डॉक्टर बच्चे के विकासात्मक इतिहास, शारीरिक स्वास्थ्य और व्यवहार की समस्याओं का मूल्यांकन करते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य मूल्यांकन: - मान्यता प्राप्त परीक्षणों और प्रश्नावली का उपयोग करके ASD के लक्षणों की गंभीरता का अध्ययन किया जाता है।
स्कूल रिपोर्ट और शिक्षक की जानकारी:- स्कूल में बच्चे के व्यवहार और प्रदर्शन के आधार पर शिक्षक की प्रतिक्रियाएँ भी महत्वपूर्ण होती हैं।
उपचार की प्रभावशीलता: - सही समय पर उपचार, जैसे कि चिकित्सा और व्यवहार प्रबंधन, से जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।
समय पर निदान: - जल्दी निदान और उचित सहायता से व्यक्ति की सामाजिक और संचार संबंधी क्षमताएँ बेहतर हो सकती हैं।
समर्थन प्रणाली: - परिवार और दोस्तों का समर्थन भी व्यक्ति की मानसिक स्वास्थ्य में सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
विकृति: - किसी व्यक्ति के जीवन में ASD का प्रभाव देखी गई विभिन्न उम्र में अलग-अलग हो सकता है, जो उनके व्यक्तिगत अनुभवों पर निर्भर करता है।
स्वस्थ गर्भावस्था:
- गर्भवती महिलाओं को धूम्रपान और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए और उचित पोषण का ध्यान रखना चाहिए।
मनोवैज्ञानिक समर्थन:
- माता-पिता को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना चाहिए और आवश्यकता पड़ने पर पेशेवर सहायता प्राप्त करनी चाहिए।
स्कूली शिक्षा:
- स्कूलों में ऑटिज़्म संबंधित जागरूकता कार्यक्रम संचालित करना, जिससे शिक्षक और विद्यार्थी इस विकार के प्रति संवेदनशील बन सकें।
बच्चों के लिए गतिविधियाँ:
- बच्चों को सामाजिक खेलों और अन्य तैयारियों में शामिल करना जो उनकी सामाजिक क्षमताओं को बढ़ा सके।