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acute necrotizing pancreatic ka homeopathy me ilaaj
एक्यूट नेक्रोटाइजिंग पैंक्रियाटाइटिस : कारण, लक्षण और उपचार एक्यूट नेक्रोटाइजिंग पैंक्रियाटाइटिस (Acute Necrotizing Pancreatitis) अग्न्याशय (Pancreas) की एक गंभीर और जानलेवा स्थिति होती है, जिसमें पैंक्रियास की कोशिकाएं नष्ट (Necrosis) होने लगती हैं। यह स्थिति आमतौर पर तीव्र पैंक्रियाटाइटिस के जटिल रूप में विकसित होती है। इसका समय पर और सही इलाज न होने पर संक्रमण, अंग विफलता और मृत्यु तक हो सकती है। १) एक्यूट नेक्रोटाइजिंग पैंक्रियाटाइटिस के होने के क्या कारण है? एक्यूट नेक्रोटाइजिंग पैंक्रियाटाइटिस के मुख्य कारणों में शामिल हैं: जैसे की - पित्ताशय की पथरी : – यह पैंक्रियास की नली को अवरुद्ध कर के सूजन और नेक्रोसिस का कारण बनता है।  - अत्यधिक शराब का सेवन  - उच्च ट्राइग्लिसराइड स्तर  - कुछ दवा का साइड इफेक्ट का होना -वायरल संक्रमण २ ) एक्यूट नेक्रोटाइजिंग पैंक्रियाटाइटिस होने के क्या लक्षण दिखाई देते है ? इस बीमारी के लक्षण निचे बताये गए अनुसार हो सकते है , जैसे की ,  - पेट के ऊपरी भाग में तेज दर्द का होना - उल्टी और मतली  - तेज धड़कन और बुखार -पेट में सूजन का आ जाना - शरीर में कमजोरी सा लगना  - पेशाब में बदलाव  - सांस लेने में परेशानी ३) एक्यूट नेक्रोटाइजिंग पैंक्रियाटाइटिस उपचार क्या है ? 1. अस्पताल में भर्ती या निगरानी : मरीज को ICU में एडमिट किया जाता है। और निगरानी के लिए खून का टेस्ट, CT स्कैन , अल्ट्रासाउंड जाँच भी किए जाते हैं। 2. IV Fluids और पोषण: - डिहाइड्रेशन न हो और उस से बचाने के लिए IV फ्लूइड्स दिया जाता है।  - खाने-पीने से कुछ दिन तक परहेज कर के शरीर को आराम दिया जाना भी जरुरी होता है।  3. बुखार और दर्द का इलाज: बुखार और संक्रमण को कम करने या रोकने के लिए एंटीबायोटिक्स भी दिए जाते हैं। ४) एक्यूट नेक्रोटाइजिंग पैंक्रियाटाइटिस होने पर क्या देखभाल होनी चाहिए ? - उबली हुई और कम मसाले वाली चीजें को खाना चाहिए। - धीरे-धीरे लिक्विड डाइट शुरू करें और डॉक्टर के सलाह पर ही ठोस खाना शुरू करें। - शराब और तले-भुने भोजन से पूरी तरह दुरी बनाये रखना चाहिए। ५) एक्यूट नेक्रोटाइजिंग पैंक्रियाटाइटिस से बचाव के लिए क्या करना चाहिए ? - समय - समय पर गॉलब्लैडर की पथरी का इलाज करवाए - शराब से दुरी बनाये रखें।  -संतुलित और कम फैट वाली डाइट लें।
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ca 19 9 kya hai
CA 19-9 क्या है और इसके बढ़ने से कैंसर का खतरा क्यों हो सकता है? CA 19-9 (Cancer Antigen 19-9) एक प्रकार का प्रोटीन है, जिसे ट्यूमर मार्कर कहा जाता है। यह शरीर में उन कोशिकाओं द्वारा उत्पादित होता है, जो असामान्य रूप से बढ़ जाती हैं। सामान्यतः, यह प्रोटीन पाचन तंत्र के कुछ अंगों जैसे पैंक्रियाज, जिगर, गल मार्ग, और आंतों में पाया जाता है। जब इन अंगों में कैंसर होता है, तो CA 19-9 का स्तर शरीर में बढ़ सकता है। यह मार्कर विशेष रूप से पैंक्रियाटिक कैंसर, कोलोन कैंसर, लिवर कैंसर, औरGall bladder (पित्ताशय की थैली) के कैंसर के साथ जुड़ा हुआ है। हालांकि, यह जरूरी नहीं कि CA 19-9 का स्तर बढ़ने का मतलब हमेशा कैंसर ही हो, क्योंकि कई बार यह संक्रमण, सूजन, या अन्य गैर-कैंसर बीमारियों में भी बढ़ सकता है।  CA 19-9 का परीक्षण क्यों किया जाता है? डॉक्टर इस परीक्षण का उपयोग मुख्य रूप से निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए करते हैं: - **कैंसर का निदान:** कोई मरीज के लक्षण यदि कैंसर से मिलते-जुलते हैं, तो CA 19. 9 का जाँच कर पता लगाया जा सकता है कि मरीज को कैंसर या नहीं है।  - **कैंसर का प्रगति ट्रैकिंग:** यदि पहले से कैंसर का निदान हो चुका है, तो इस मार्कर का स्तर उसकी प्रगति या उपचार की प्रतिक्रिया को समझने में मदद करता है।  - **रिसिडिव (पुनः उत्पन्न) कैंसर की जांच:** इलाज के बाद यदि CA 19-9 का स्तर फिर से बढ़ता है, तो इसका मतलब हो सकता है कि कैंसर वापस आ गया है। CA 19-9 का स्तर कितना होना चाहिए? CA 19-9 का नार्मल लेवल 37 Units per milliliter से नीचे माना जाता है। पर ये लेवल अगर ज्यादा बढ़ जाये तो ,कैंसर या कोई अन्य स्थिति भी हो सकती है।  - **उच्च स्तर:** कैंसर, सूजन, संक्रमण, या जिगर की बीमारी का संकेत हो सकता है। - **बहुत अधिक स्तर:** यह अधिक गंभीर कैंसर के हो सकते हैं, जैसे कि पैंक्रियाटिक कैंसर, विशेष रूप से जब यह बढ़ जाता है।  क्या CA 19-9 का स्तर बढ़ने का मतलब हमेशा कैंसर ही है? - उत्तर है, नहीं। यह कोई निश्चित निदान नहीं है। कई गैर-कैंसर स्थितियों में भी इसकी मात्रा बढ़ भी सकती है, जैसे: - पैंक्रियाटिक सूजन (पैंक्रियाटाइटिस) - जिगर की बीमारियाँ (जैसे हेपेटाइटिस) - Gallstones (पित्ताशय की पथरी) - संक्रमण या सूजन इसलिए, यदि CA 19-9 का स्तर बढ़ता है, तो इसका मतलब यह नहीं कि व्यक्ति के पास कैंसर है। यह केवल एक संकेत है, जिसके बाद और जांचें की जाती हैं, जैसे कि इमेजिंग (अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, MRI) और बायोप्सी, ताकि सही निदान किया जा सके। CA 19-9 का उपयोग सीमित क्यों है? क्योंकि बहुत से गैर-कैंसर मामलों में भी CA 19-9 का स्तर बढ़ सकता है, इसलिए यह मार्कर केवल एक सहायता उपकरण है, न कि अंतिम निदान। इसका प्रयोग मुख्य रूप से कैंसर का अनुमान लगाने, उसकी प्रगति का मूल्यांकन करने, और उपचार की प्रतिक्रिया देखने के लिए किया जाता है। निष्कर्ष - CA 19-9 एक ट्यूमर मार्कर है, जो मुख्य रूप से पैंक्रियाटिक और अन्य संबंधित अंगों के कैंसर की पहचान में मदद करता है।** - **इसके स्तर का बढ़ना जरूरी नहीं कि कैंसर ही हो, बल्कि यह संक्रमण, सूजन, या जिगर की बीमारियों का भी संकेत हो सकता है।** - यह मार्कर केवल निदान में मदद करता है, अंतिम पुष्टि के लिए अन्य टेस्ट जरूरी होते हैं।**
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acute necrotizing pancreas ka ilaaj
१)एक्यूट नेक्रोटाइज़िंग पैंक्रियास होने के क्या कारण होते है ? एक्यूट नेक्रोटाइज़िंग पैंक्रियास होता है जब हमारे शरीर अग्न्याशय में सूजन या चोट लगती है, और अग्नाशयी एंजाइम लीक होने लग जाते हैं। यह अग्न्याशय के ऊतक को नुकसान पहुंचाते है। इस क्षति को उलटा नहीं किया जा सकता है, तो यह नेक्रोटाइज़िंग पैन्क्रियाटाइटिस का कारण बनते है। कुछ मामलों में, ऊतक संक्रमित हो सकते हैं। यह बैक्टीरिया से होता है जो की मृत ऊतक में फैल जाते हैं। ** एक्यूट नेक्रोटाइज़िंग पैंक्रियास होने का कारण इस प्रकार से होता है जैसे की , - जयदा दवा का उपयोग करना  - खून में कैल्सियम का स्तर ज्यादा होना , - पित्ताशय की पथरी होना , - बहुत ज़्यादा शराब पीना २) एक्यूट नेक्रोटाइज़िंग पैंक्रियास का खतरा किसे होता है? आपको कोई स्वास्थ्य की समस्या है जो की अग्नाशयशोथ का कारण बन सकती है, तो आपको एक्यूट नेक्रोटाइज़िंग पैंक्रियाटाइटिस का जोखिम अधिक हो सकता है। इसमें पित्त पथरी शामिल है। आप अपनी स्वास्थ्य स्थिति का इलाज करके एक्यूट नेक्रोटाइज़िंग पैंक्रियाटाइटिस के जोखिम को कम भी कर सकते हैं। जिसमे कम शराब पीने से भी आपका जोखिम कम हो सकता है। 3) एक्यूट नेक्रोटाइज़िंग पैंक्रियास में वजन नही बढ़ने का क्या कारण है ? एक्यूट नेक्रोटाइज़िंग पैन्क्रियाटाइटिस में वजन न बढ़ने का कारण निचे अनुसार हो सकते है ,जैसे की , -पाचन की कमी होने से  -संक्रमण और सूजन का होना  -पोषण की कमी -विटामिन की कमी ४) एक्यूट नेक्रोटाइज़िंग पैंक्रियास होने पर क्या लक्षण होते है? एक्यूट नेक्रोटाइज़िंग पैंक्रियास होने के लक्षण निचे बताया गया है ,जो की इस प्रकार से है ,  - पेट के ऊपरी भाग में दर्द होता है और यह दर्द धीरे-धीरे बढ़ता जाता है। - पेट का ऊपरी हिस्सा सूजा हुआ लगना  -मतली और उल्टी का होना - हृदय की गति का तेज हो जाना
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vocal cord polyp ka homeopathy me ilaaj
१) वोकल कॉर्ड पोलिप रोग क्या होता है?वोकल कॉर्ड पोलिप ये ज्यादा बोलने वाले ,या चिल्लाने वाले , धूम्रपान, एलर्जी, या गले के संक्रमण होने के कारण से ये प्रॉब्लम हो सकती है। २) वोकल कॉर्ड पोलिप होने के क्या लक्षण दिखाई देते है ? वोकल कॉर्ड पोलिप होने के लक्षण निचे बताये अनुसार हो सकते है , जैसे की , - आवाज़ का भारी हो जाना  - गले में खिंचाव जैसे लगना -खांसी का लगातार आना  - बोलने में ज्यादा परेशानी का होना  - कभी -कभी पूरी तरह से आवाज़ का बैठ जाना  ३) होम्योपैथी में वोकल कॉर्ड पोलिप का क्या इलाज है ? - होम्योपैथी दवा बीमारी को जड़ से ख़त्म करने पर काम करती है। यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता और प्रतिरक्षा प्रणाली" को भी मजबुत बनती है ,  * लाभ *  - होमियोपैथी में सर्जरी की जरुरत नहीं होती है ,  - होमियोपैथी की दवा कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है - दीर्घकालिक समय के लिए आराम हो जाता है।  ४) वोकल कॉर्ड पोलिप पर जीवनशैली और घरेलू सुझाव क्या है ? - बोलने की आदत में सुधार : ज्यादा ऊँची आवाज़ में बोलना और लगातार बोलने में कमी करना  - धूम्रपान से दुरी रखना - शराब से भी दूर होना चाहिए - गर्म पानी से गरारे करें, दिन में अधिक पानी पिएं। - ज्यादा मसालेदार, खट्टे और ज्यादा ऑयली भोजन से बचना ५) होम्योपैथिक इलाज की अवधि कितनी होती है ? मरीज के इलाज की अवधि रोग की गंभीरता, और प्रतिरोधक क्षमता और जीवनशैली पर निर्भर करती है। कुछ लोगों को 2-3 महीनों में भी सुधार मिल जाता है, वहीं कुछ मामलों में 6 महीने या उससे अधिक का भी समय लग सकता हैं।
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acute pancreatitis ke bimari se mila aaram
१)एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस क्या है? एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस गंभीर और अचानक से उत्पन्न होने वाली स्थिति है जिसमें अग्न्याशयमें सूजन आ जाती है। -अग्न्याशय ये हमारे शरीर एक महत्वपूर्ण भाग है ,जो की पाचन एंजाइम और इंसुलिन जैसे हार्मोन का उत्पादन करता है।  -ये ग्रंथि जब सूज जाती है, तो यह एंजाइम अपने ही ऊतकों को पचाने लगते हैं, जिससे तेज़ दर्द और अन्य जटिलताएं हो सकती हैं।    २) एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस होने के कारण क्या हो सकते है ? एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस होने के कारण निचे बताये अनुसार है , - पित्ताशय की पथरी : ये अग्न्याशय की नलिका को ब्लॉक करने से एंजाइम का प्रवाह बाधित होता है और इसमें सूजन होती है। -लंबे समय तक ज्यादा शराब पिने से भी अग्न्याशय को नुकसान पहुंचता है - ऊंचे ट्राइग्लिसराइड्स स्तर: जब खून में ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर अधिक होता है, तो यह अग्न्याशय को नुकसान करता है - कुछ दवाइयों के साइड इफेक्ट्स से भी पैंक्रियाटाइटिस हो सकता है। - जनेटिक या ऑटोइम्यून कारण: कुछ लोगों में पारिवारिक आनुवांशिक के कारण से भी समस्याएं होती है।    ३) एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस होने के क्या लक्षण होते है ? निचे बताये अनुसार इसके लक्षण होते है , जैसे की - पेट में अचानक और तेज़ दर्द दर्द का होना  - मिचली और उल्टी - बुखार  - पेट में गैस बनना - खाना सही से न पचना  ४) एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस के निदान कैसे होते है ? एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस की पहचान निम्नलिखित तरीकों से की जाती है:  - रक्त परीक्षण :Amylase और Lipase नामक एंजाइम्स का स्तर उच्च होता है।  - अल्ट्रासाउंड या CT स्कैन से अग्न्याशय की सूजन, या पथरी का पता लगाने में मदद करती हैं।  - MRI या एंडोस्कोपी (ERCP): विशेष मामलों में गहन जांच के लिए उपयोग किया जाता है।  ५) एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस के रोकथाम क्या है ? - शराब का सेवन से पूरी तरह दुरी रखना। - कम चर्बी वाला आहार लेना  - पित्ताशय की पथरी से बचने के लिए वजन को कण्ट्रोल में रखना - डेली व्यायाम करें - डॉक्टर की सलाह से ही दवा का उपयोग करना
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Adenomyosis ke saath me pregnancy possible hai
१) एडेनोमायोसिस क्या है? ये स्त्री रोग से संबंधी बीमारी की स्थिति है, जिसमें गर्भाशय की अंदर की परत की कोशिकाएं गर्भाशय की मांसपेशियों में बढ़ने लग जाती हैं। आमतौर पर 25 से 45 उम्र की महिलाओं में देखने को मिलती है और इसके लक्षणों में भारी मासिक धर्म, गंभीर पेट दर्द, सूजन और थकान हो सकते हैं। २ ) एडेनोमायोसिस और फर्टिलिटी के बीच संबंध? ये महिला की प्रजनन क्षमता को असर कर सकता है। यह स्थिति गर्भाशय की संरचना को बदल भी सकती है, जिससे की शुक्राणु और अंडाणु के मिलने की प्रक्रिया, भ्रूण का प्रत्यारोपण (implantation) और गर्भावस्था को बनाए रखने में परेशानी हो सकती है। इसके कारण गर्भधारण में देरी या बार-बार गर्भपात की संभावना बढ़ सकती है। ३) एडेनोमायोसिस के प्रमुख कारण क्या होते है ? एडेनोमायोसिस के प्रमुख कारण निचे बताया गया है ,जो की इस प्रकार से है - गर्भाशय की दीवार असमान का होना - गर्भाशय में सूजन और छोटे घाव  - हार्मोनल का असंतुलन होना  - रक्त के प्रवाह में भी रुकावट     ४) क्या Adenomyosis के साथ प्रेग्नेंसी संभव है? हां, Adenomyosis के साथ प्रेग्नेंसी संभव है, पर Adenomyosis फर्टिलिटी को असर कर सकता है, ये जरूरी नहीं है कि , हर महिला को गर्भधारण में समस्या आए। कई महिलाएं इस स्थिति के बाद में भी गर्भवती हो जाती हैं।  कुछ में IVF की जरुरत हो सकती है.५) adenomyosis के कारण गर्भधारण में परेशानी हो रही है, तो डॉक्टर क्या उपचार करते है ? - 1. हार्मोनल का उपचार: जो अस्थायी रूप से हार्मोन का स्तर घटाकर गर्भाशय को "आराम" देते हैं। इससे गर्भावस्था के लिए उपयुक्त स्थिति बनाई जा सकती है। 2. IVF जिन महिलाओं में कुछ प्रयासों से गर्भधारण नहीं हो रहा है, उनके लिए IVF एक विकल्प है , IVF के साथ प्रेग्नेंसी की संभावना adenomyosis की गंभीरता पर निर्भर करती है।  3. सर्जरी (अगर ज्यादा गंभीर हो) कुछ मामलों में adenomyosis को हटाने के लिए सर्जरी की जरुरत होती है, जिसे adenomyomectomy कहते हैं।    ६) प्रेग्नेंसी के दौरान क्या सावधानियां रखना चाहिए? Adenomyosis के साथ गर्भवती महिला को ज्यादा सावधानियां की आवश्यकता होती है: - डेली अल्ट्रासाउंड और डॉक्टर की निगरानी में  - समय-समय पर खून की टेस्ट  - डॉक्टर द्वारा सुझाई गई दवाओं और सप्लीमेंट्स का सेवन  सफल प्रेग्नेंसी की कहानियां कई महिलाएं जो adenomyosis से पीड़ित थीं, उन्होंने उचित इलाज, IVF या नेचुरल प्रयासों से सफलतापूर्वक प्रेग्नेंसी प्राप्त की है। डॉक्टर की सलाह और सही उपचार योजना इस स्थिति में सबसे बड़ी मदद होती है।
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gastritis ka kya ilaaj hai
१) गैस्ट्राइटिस का क्या इलाज है ? गैस्ट्राइटिस का अर्थ है की आमाशय की सूजन। सामान्य पाचन तंत्र की समस्या है, जो की अमाशय की परत में जलन या सूजन के कारण से होती है। यह समस्या कम भी हो सकती है और ज्यादा गंभीर भी, जो आगे चलकर अल्सर या अन्य जटिलताओं का कारण बनती है। इसके कारण, लक्षण और इलाज को समझना आवश्यक है ताकि समय पर उचित कदम उठाए जा सकें। २) गैस्ट्राइटिस होने के क्या कारण है? गैस्ट्राइटिस कई कारणों से हो सकता है, जैसे की ,  - अनियमित खानपान : बहुत अधिक तीखा खाना ,या मसालेदार , तला हुआ भोजन। - ज्यादा शराब का उपयोग करना  - धूम्रपान  -ज्यादा पेनकिलर दवाइयों का सेवन करना - बैक्टीरिया का संक्रमण -मानसिक चिंता ३) गैस्ट्राइटिस होने के क्या लक्षण होते है ? गैस्ट्राइटिस के सामान्य लक्षणों है, जो की इस प्रकार से है , - पेट में जलन या पेट में दर्द का होना - अपच  - उल्टी या मतली  - भूख में कमी लगना -पेट का फूल जाना  ४) गैस्ट्राइटिस का घरेलू इलाज क्या है ? * सादा और हल्का भोजन : दलिया, उबली सब्जि, दही आदि का सेवन करें। ज्यादा मसालेदार और तले हुए भोजन से दुरी रखना।  * अदरक और शहद : अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। एक चम्मच अदरक का रस और आधा चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो बार सेवन करें। * तुलसी के पत्ते : 4-5 तुलसी के पत्ते को चबाना लाभदायक होता है।  * नारियल पानी : अमाशय की पर्त को शांत करता है और हाइड्रेशन बनाए रखता है। * छाछ और सौंफ छाछ में थोड़ा सा सौंफ और काला नमक मिलाकर पिएं, यह गैस में राहत देगा।  ५) गैस्ट्राइटिस में क्या करें और क्या न करें? *गैस्ट्राइटिस में क्या करना चाहिए * - अपने डेली समय पर ही भोजन करना चाहिए। - खूब पानी पीना चाहिए । - तनाव से दुरी रखना चाहिए। - थोड़ा व्यायाम करना चाहिए * गैस्ट्राइटिस में क्या न करें * -  तने ,भुने  मसालेदार भोजन से दूर रहना चाहिए  - चाय, कॉफी और कोल्ड ड्रिंक्स से दुरी रहना  - धूम्रपान से दूर रहे  - शराब  का कम सेवन करना
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homeopathy me gerd ka ilaaj
१) GERD का क्या इलाज है? GERD यह पाचन संबंधी की समस्या है, जिसमें अम्लीय पदार्थ भोजन नली में वापस आ जाता है। यह परीस्थिति अक्सर जलन, सीने में दर्द का होना , खट्टा या कड़वा स्वाद, गले में खराश होना , और खांसी जैसी लक्षणों के रूप में होती है। -यदि इसका समय पर सही इलाज न किया जाए, तो यह जठरांत्र संबंधी जटिलताओं जैसे कि (संकीर्णता) का कारण बन सकती है।  -आज का आर्टिकल में हम GERD का प्रभावी उपचार, जीवनशैली में बदलाव, और घरेलू उपायों पर बात करने वाले है २) GERD होने के क्या कारण हो सकते है ? GERD के कई कारण हो सकते है ,जैसे की १) वजन बढ़ना : ज्यादा वजन होने से पेट पर दबाव आता है, जिससे LES पर दबाव कम हो जाता है और GERD का खतरा बढ़ जाता है. २) कुछ खाद्य और पेय पदार्थ : तले हुए, मसालेदार खाना , चॉकलेट, कॉफी, शराब, लहसुन ये सब GERD के लक्षणों को ट्रिगर कर सकते हैं.  ३) ज्यादा भोजन करना या देर रात को भोजन करना : पेट पर दबाव बढ़ जाने से एसिड रिफ्लक्स हो सकता है.  ४) धूम्रपान : धूम्रपान LES को कमजोर कर सकता है और एसिड रिफ्लक्स के जोखिम का खतरा बढ़ा सकता है.  ३) GERD होने के क्या लक्षण है? GERD के कई लक्षण हो सकते है ,जैसे की - सीने में जलन का होना  -मुंह में खट्टा स्वाद का आना -गले में खराश का होना -गले में सूजन - डकार का आना और पाचन में परेशानी ४) GERD का जीवनशैली में परिवर्तन से क्या होता है ? -छोटे और बार-बार भोजन करें : दिन में कई बार हल्का-हल्का भोजन खाएं। -तैलीय, मसालेदार, और तीखे भोजन करने से दुरी बनाये रखे. -कैफीन, चॉकलेट, अदरक, और शराब का सेवन कम होना चाहिए. -धूम्रपान से दुरी रखे. -वजन को नियंत्रित रखें -सोते समय सिर के निचे ऊंचा तकिया रखें.५) GERD के लिए क्या सावधानियां और सुझाव है ? - ज्यादा मसालेदार भोजन खाने से बचें। -खाने के तुरंत बाद सोना नहीं चाहिए  -वजन को नियंत्रित करें। - शराब से दूर रहें। -तनाव को कम करने केलिए , कसरत करना चाहिए  -नियमित रूप से चिकित्सक से जांच कराएं और दवाइयों का सेवन चिकित्सक की सलाह के अनुसार करें।
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mastoiditis treatment in hindi
१) मास्टोइडाइटिस का इलाज क्या है? मास्टोइडाइटिस गंभीर संक्रमण है जो की कान के पीछे स्थित मास्टोइड हड्डी को असर करता है। यह हड्डी छोटे-छोटे वायुवीय कक्षों से बने होते है और इसका सीधा संबंध middle ear से होता है। जब कान का संक्रमण समय रहते ठीक नहीं होता है तो , यह मास्टोइड हड्डी तक फैल सकता है, जिससे मास्टोइडाइटिस होता है। यह स्थिति बच्चों में होती है, पर कोई भी उम्र ये बीमारी हो सकता है। २) मास्टोइडाइटिस के लक्षण क्या है? मास्टोइडाइटिस के लक्षण निचे अनुसार हो सकते है ,जैसे की - कान के पीछे सूजन का होना -लालिमा  -तेजी से सिर में दर्द - कान से मवाद का आना  -सुनने में कमी -बुखार - कान को छूने पर दर्द का तेजी से होना -गर्दन की अकड़न ३) मास्टोइडाइटिस के होने का कारण क्या है? मास्टोइडाइटिस होने का कारण इस प्रकार से है ,  -मध्य कान में संक्रमण : सबसे आम कारण है। पर मध्य कान का संक्रमण सही से इलाज नहीं किया जाये तो संक्रमण मास्टॉयड हड्डी तक फैल सकता है. -कोलेस्टीटोमा : मध्य कान में असामान्य त्वचा में वृद्धि होती है जो कान के अंदर पानी निकलने में असर डालती है और संक्रमण को बढ़ावा देती है, जिससे मास्टोइडाइटिस हो सकता है. -अन्य संक्रमण : मास्टोइडाइटिस मस्तिष्क के फोड़े या अन्य संक्रमण से भी हो सकता है.४) मास्टोइडाइटिस रोकथाम का उपाय क्या है? - कान की साफ-सफाई करना और तैराकी के दौरान सावधानी भी जरूरी है। ताकि पानी कान में न जाये .-शांत करने वाले उपकरणों का उपयोग मध्य कान में संक्रमण का खतरा बढ़ा सकता है. -सर्दी और फ्लू से बचना  -अपने बच्चे को सभी टीकों लगाना चाहिए खासकर न्यूमोकोकल और फ्लू के टीके. -एलर्जी के कारण से सूजन और बलगम हो सकता है उस से दूर रहना चाहिए
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homeopathic me acute pancreas ka kya ilaaj hai?
१) एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस का होम्योपैथी में क्या इलाज है? एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस गंभीर अवस्था है जिसमें अग्न्याशय में सूजन आ जाती है। यह स्थिति अचानक से होती है और पेट के ऊपरी भाग में तेज दर्द, उल्टी, बुखार, और पाचन से संबंधित समस्याओं का कारण भी बनती है। एलोपैथी में इसका इलाज है, लेकिन होम्योपैथी भी एक असरकारक और सुरक्षित विकल्प के रूप में है, विशेष रूप से रोग की प्रारंभिक अवस्था में और रिकवरी के दौरान। २) एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस के क्या कारण हो सकते है ? एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस के कारण निचे बताये गए है , * पित्ताशय की पथरी : एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस में सबसे सामान्य कारण में से एक है। * ज्यादा शराब का सेवन : लंबे समय तक ज्यादा मात्रा में शराब का सेवन करने से अग्न्याशय को असर होता है  * कुछ दवाओं का दुष्प्रभाव से भी इसका खतरा ज्यादा होता है  *कैल्शियम का उच्च स्तर : खून में कैल्शियम का स्तर ज्यादा बढ़ने से भी एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस हो सकता है.  *वंशानुगत : कुछ लोगों के पारिवारिक इतिहास में भी एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस होने चान्सेस होता है.      ३)एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस के कौन से लक्षण दिखाई देते है? एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस के लक्षण निचे अनुसार हो सकते है ,जैसे की , - पेट के ऊपरी भाग में तेज और स्थायी दर्द का होना  - दर्द जो की पीठ तक फैल सकता है -उल्टी और मतली -बुखार -पेट का फूलना - भूख में कमी होना - शरीर में कमजोरी आ जाना  ४) होम्योपैथी का सिद्धांत क्या है ? होम्योपैथी का मुख्य सिद्धांत "समान का समान से उपचार" है। यह सिद्धांत कहता है कि जो पदार्थ किसी स्वस्थ व्यक्ति में किसी रोग जैसे लक्षण उत्पन्न करता है, वही पदार्थ से अत्यंत सूक्ष्म मात्रा में मरीज को देने पर उन लक्षणों को दूर भी कर सकता है। होम्योपैथी यह भी मानता है कि दवा को जितना पतला हो , वह उतना ही अधिक शक्तिशाली होगा। * होम्योपैथी के सिद्धांत * - समानता का नियम : एक पदार्थ जो स्वस्थ मानव को बीमारी के लक्षण पैदा करता है, वही पदार्थ बीमार मरीज को समान लक्षणों का इलाज भी कर सकता है।  - न्यूनतम खुराक का नियम : होम्योपैथी में, दवा को जितना पतला किया जाएगा, वह उतना ही अधिक शक्तिशाली होता है । - प्राणशक्ति का सिद्धांत : होम्योपैथी में, ऐसी शक्ति की कल्पना की जाती है जो की मानव शरीर को सजीव करती है और शरीर के सामंजस्यपूर्ण कामकाज को बनाए रखती है।  ५)होम्योपैथिक इलाज की क्या विशेषताएँ है ? - व्यक्तिगत इलाज : कोई भी मरीज को उसकी बीमारी के लक्षणों के अनुसार ही दवा दी जाती है।  - कोई साइड इफेक्ट नहीं : होम्योपैथिक दवाएं का सेवन करने से कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होता है।  -प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना : होम्योपैथिक दवाये शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाती है।
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gut health kyu jaruri hai
१)आंतों का स्वास्थ्य (Gut Health) क्यों ज़रूरी है? आज की तेज़ रफ़्तार ज़िंदगी में हम अकसर अपने शारीरिक स्वास्थ्य को लेकर सतर्क तो रहते हैं, लेकिन एक चीज़ को नज़रअंदाज़ कर देते हैं — वह है हमारी आंतों का स्वास्थ्य। आधुनिक विज्ञान ने सिद्ध कर दिया है कि हमारी आंतें सिर्फ खाना पचाने का काम ही नहीं करतीं, बल्कि हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य का आधार होती हैं। एक स्वस्थ गट (gut) न केवल पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य, इम्यून सिस्टम, त्वचा, और यहाँ तक कि हमारे मूड को भी प्रभावित करता है। २)आंतों का स्वास्थ्य क्या होता है? हमारे पेट में लाखों-करोड़ों सूक्ष्मजीव (bacteria, fungi, viruses) रहते हैं जिन्हें सामूहिक रूप से गट माइक्रोबायोम कहा जाता है। ये सूक्ष्मजीव हमारी आंतों के भीतर रहते हैं और पाचन, पोषण अवशोषण, विषैले तत्वों को बाहर निकालने, और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने में मदद करते हैं। जब ये सभी सूक्ष्मजीव संतुलित रहते हैं, तो हमारी आंतें स्वस्थ रहती हैं। लेकिन जब इनका संतुलन बिगड़ता है, तब कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ३)आंतों का स्वास्थ्य क्यों ज़रूरी है? 1. बेहतर पाचन के लिए: सबसे पहले और ज़रूरी भूमिका होती है खाने के पाचन में। एक स्वस्थ गट खाने को सही तरह से तोड़ता है और पोषक तत्वों को अवशोषित करने में मदद करता है। अगर गट हेल्दी नहीं है, तो अपच, गैस, एसिडिटी, कब्ज़ जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं।  2. रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करता है: क्या आप जानते हैं कि शरीर की 70% इम्यून सिस्टम आंतों से जुड़ी होती है? गट माइक्रोबायोम हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने में मदद करता है और शरीर को संक्रमण से बचाता है। यदि आपकी आंतें अस्वस्थ हैं, तो आपको बार-बार सर्दी-जुकाम, संक्रमण, या थकान हो सकती है। 3. मानसिक स्वास्थ्य से गहरा संबंध: गट को हम “दूसरा मस्तिष्क” के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि सीधा मस्तिष्क से जुड़ा है। गट में सेरोटोनिन नामक एक न्यूरोट्रांसमीटर बनता है जो मूड और भावनाओं को कण्ट्रोल करता है। और गट अच्छा रहेगा तो मूड भी अच्छा रहेगा,  4. त्वचा का स्वास्थ्य सुधारता है: अगर आपकी आंतें गंदगी और विषैले पदार्थों से भरी हैं, तो इसका असर आपकी त्वचा पर भी पड़ेगा। मुहांसे, एक्जिमा, और त्वचा की एलर्जी जैसे रोगों का कारण गट की गड़बड़ी हो सकती है।  5. वजन को नियंत्रित करता है: कुछ बैक्टीरिया शरीर में फैट स्टोर करने की प्रक्रिया को नियंत्रित करते हैं। अगर आपकी आंत में गलत बैक्टीरिया ज़्यादा हैं, तो वजन तेज़ी से बढ़ सकता है। एक स्वस्थ गट मेटाबोलिज्म को बढ़ाता है और वजन को संतुलित रखने में मदद करता है। ४)गट हेल्थ को कैसे बेहतर बनाएं? 1. फाइबर युक्त आहार लें: फल, सब्ज़ियां, साबुत अनाज, और दालों में फाइबर भरपूर होता है जो अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ावा देता है। 2. प्रोबायोटिक और प्रीबायोटिक खाएं: प्रोबायोटिक जैसे दही, छाछ, और अचार में जीवित बैक्टीरिया होते हैं जो गट हेल्थ सुधारते हैं। प्रीबायोटिक फूड्स (जैसे प्याज़, लहसुन, केला) उन बैक्टीरिया को खाने का काम करते हैं।  3. पानी भरपूर पिएं: हाइड्रेशन बहुत ज़रूरी है। यह पाचन को आसान बनाता है और विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है।  4. प्रोसेस्ड और शुगर युक्त भोजन से बचें: जंक फूड और अधिक चीनी गट बैक्टीरिया का संतुलन बिगाड़ सकते हैं। इनसे बचना ही बेहतर है। 5. तनाव को कम करें: जैसा कि हमने ऊपर देखा, मानसिक तनाव सीधे गट हेल्थ को प्रभावित करता है। योग, मेडिटेशन, और पर्याप्त नींद इसके लिए ज़रूरी हैं।
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oviran cyst or lymph nodes ka ilaaj
१) ओवेरियन सिस्ट और मेसेंटेरिक लिंफ नोड्स का होम्योपैथिक इलाज क्या है ? आज के वर्तमान समय में बदलते जीवनशैली, चिंता , हार्मोनल का असंतुलन और आहार संबंधी कारणों से महिलाओं में कई प्रकार की शारीरिक समस्याएं देखने को मिलती हैं। - इनमें से दो स्थितियाँ हैं १) ओवेरियन सिस्ट और २) मेसेंटेरिक लिंफ नोड्स  इन दोनों ही समस्याओं का इलाज आमतौर पर एलोपैथिक दवाओं और गंभीर मामलों में (सर्जरी) से भी इलाज किया जाता है, लेकिन बहुत सी महिलाएं अब प्राकृतिक और सुरक्षित और बिना साइड इफेक्ट वाले पद्धति की ओर मुड़ रहे है।  १) ओवेरियन सिस्ट क्या है? ओवेरियन सिस्ट का अर्थ है की अंडाशय में बनने वाली तरल या ठोस गांठें ।  - यह सिस्ट नार्मल तौर पर हार्मोनल का असंतुलन होना , (PCOS), चिंता , थाइरॉइड की प्रॉब्लम ** के कारण बन सकती है। अक्सर यह सिस्ट बिना लक्षण के होती है, लेकिन कई बार इनमें दर्द, अनियमित पीरियड्स, और पेट का फूलना, या बांझपन जैसी समस्याएं हो सकती है  २) मेसेंटेरिक लिंफ नोड्स क्या होते हैं? मेसेंटेरी शरीर का एक अंग है जो की आंतों को पेट की दीवार से जोड़ता है। इसमें लिंफ नोड्स (गांठें) शरीर के इम्यून सिस्टम का भाग होते हैं। जब शरीर में संक्रमण या सूजन होती है, तो लिंफ नोड्स आकार में बढ़ सकते हैं और पेट दर्द, उल्टी, बुखार या बेचैनी जैसे लक्षण देखना की मिलते है  ३) होम्योपैथी में इनका इलाज कैसे होता है? होम्योपैथी ऐसी चिकित्सा प्रणाली है जो की रोग के लक्षणों, मानसिक स्थिति और शारीरिक संरचना को ध्यान में रखकर इलाज करती है। यह न केवल लक्षणों को दूर करती है बल्कि हमारे शरीर को संतुलित करती है ✅ 1. समग्र दृष्टिकोण होम्योपैथी केवल रोग लक्षणों पर नहीं, ये रोग के मूल कारण पर काम करती है।उदाहरण के लिए : ओवेरियन सिस्ट का कारण हार्मोनल असंतुलन है, तो उपचार उस संतुलन को पुनः स्थापित करने पर केंद्रित होता है। यदि बार-बार मेसेंटेरिक लिंफ नोड्स की सूजन होने वाले पेट संक्रमण के कारण है, तो प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए उपचार किया जाता है। ✅ 2. जीवनशैली में सुधार करना होम्योपैथिक केवल दवा ही नहीं देते, बल्कि जीवनशैली और आहार में सुधार के लिए भी मार्गदर्शन करते हैं: - नियमित कसरत करना - तनाव पर कण्ट्रोल  - हल्का आहार  - समय पर नींद का संतुलन बनाये रखना ✅ 3. बिना साइड इफेक्ट के इलाज होम्योपैथिक दवाएं अत्यंत सूक्ष्म मात्रा में दी जाती हैं और इनका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। यह विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए उपयोगी है जो: लंबे समय से किसी बीमारी से पीड़ित हैं , पहले से कई एलोपैथिक दवाएं ले रही हैं ✅ 4. बच्चों ,बुजुर्गों के लिए भी सेफ है  होम्योपैथी की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह सभी उम्र के लोगों के लिए उपयुक्त है — बच्चे, गर्भवती महिलाएं और बुजुर्ग। मेसेंटेरिक लिंफ नोड्स की सूजन जो अक्सर बच्चों में पाई जाती है, उसका भी सहनशील और सुरक्षित उपचार होम्योपैथी में संभव है। ✅ 5. दीर्घकालिक समाधान होम्योपैथी में रोग के दोबारा होने की संभावना बहुत ही कम रहती है, क्योंकि इसका उद्देश्य शरीर के मूल असंतुलन को ठीक करना है, न कि केवल ऊपरी लक्षणों को कम करना है.निष्कर्ष ओवेरियन सिस्ट और मेसेंटेरिक लिंफ नोड्स जैसी स्थितियाँ दिखने में आम लग सकती हैं, लेकिन यदि इनका इलाज सतही तौर पर किया जाए तो यह आगे चलकर गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर सकती हैं।
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homeopathy me acute pancreatitis ka ilaaj?
१)होमियोपैथी में एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस का इलाज? पैंक्रियास हमारे शरीर का भाग है जो की आमतौर पर पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द और उल्टी के साथ होता है. यह ऐसी स्थिति है जहां अग्न्याशय थोड़े समय के लिए सूज जाता है. एक्यूट पैंक्रियास ये क्रोनिक पैंक्रियास से अलग होता है, जहाँ अग्न्याशय की सूजन कुछ वर्षों तक बनी रहती है और स्थायी क्षति हो सकती है. २) एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस के क्या कारण है ?एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस के कारण निचे बताया गया है जो की इस प्रकार से है -एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस में गॉलब्लैडर की पथरी सबसे आम कारण में शामिल है  - ज्यादा शराब सेवन का सेवन करना - कुछ दवाएं का बार बार उपयोग करना  -खून में चर्बी की मात्रा ज्यादा होना  - आनुवंशिक कारण -ध्रूमपान का सेवन    ३) एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस के कौन से लक्षण है ? एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस के लक्षण निचे बताया गया है , -पेट के ऊपरी भाग में लगातार दर्द का होना -दर्द पीठ में फैल सकता है -उल्टी और मितली -बुखार - हार्ट का धड़कन तेज होना ४) एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस इलाज के कौन -कौन से चरण है ? - 1. अस्पताल में एडमिट होना कुछ मामलों में, पेशेंट को अस्पताल में एडमिट करने की जरुरत होती है, क्योंकि गंभीर स्थिति हो सकती है। यहां मरीज की स्थिति पर निरंतर निगरानी की जाती है। -2. भोजन से परहेज शुरुआती इलाज में, मरीज को कुछ दिनों तक खाना नहीं दिया जाता है । इससे अग्न्याशय को कुछ हद तक ‘आराम’ मिलता है और वह सूजन से उबरने लगता है। -3. दर्द और सूजन का कण्ट्रोल एंटीबायोटिक्स – केवल तब जब संक्रमण की पुष्टि हो तब तक दिया जाता हैं -4. मूल कारण का इलाज गॉलब्लैडर की पथरी : यह कारण हो तो मरीज को ERCP या सर्जरी के माध्यम से पथरी हटाने की जरुरत होती है  - अत्यधिक शराब सेवन  - 5. आहार में परिवर्तन एक बार जब लक्षण कण्ट्रोल में आ जाते हैं, धीरे-धीरे लिक्विड डाइट से ठोस आहार की ओर बढ़ा जाता है। कम फैट वाला और सुपाच्य आहार प्राथमिकता होती है। ५) मरीज की देखभाल और रिकवरी? -आराम: मरीज को जितना हो सके तो उनको पूरा ही आराम करना जरूरी है। -लंबी अवधि की फॉलो अप : समय -समय से बार-बार पैंक्रियाटाइटिस होने से यह क्रोनिक में न बदल सके इसलिए नियमित जांच जरूरी है।  - डायबिटीज : अग्न्याशय इंसुलिन भी बनाता है, इसकी क्षति से डायबिटीज हो सकता है।
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ca 19 9 kya hai
१) CA 19-9 क्या है? CA 19-9 ट्यूमर मार्कर है — ऐसा पदार्थ जो शरीर में कुछ प्रकार के कैंसर की उपस्थिति में बढ़ जाता है। यह मुख्य अग्न्याशय , पित्त नली , पेट और लिवर से संबंधित कुछ कैंसर में बढ़ सकता है।  -CA 19-9 शरीर में विशेष रूप से अग्न्याशय और पाचन तंत्र से जुड़ी कोशिकाओं द्वारा होता है। इसका उपयोग कैंसर की डायग्नोसिस के बजाय कैंसर के इलाज की देखरेख और रोग की प्रगति देखने के लिए करते है।  २)क्या केवल CA 19-9 का स्तर बढ़ जाना, अपने आप में कैंसर होने का संकेत है?उत्तर है — नहीं।   - CA 19-9 का लेवल कई गैर-कैंसर स्थितियों में भी हो सकता है।जैसे की - पित्त नली में रुकावट -पित्ताशय की पथरी - लिवर सिरोसिस -पैंक्रियाटाइटिस -धूम्रपान ३) CA 19-9 का रेंज कितना होना चाहिए ? CA 19-9 का लेवल 0 से 37 U/mL के बीच ही होता है। यदि इसका स्तर बहुत ही ज्यादा है, तो डॉक्टर उसके कारण को समझने के लिए कुछ जांचों की सलाह देते है  - यह स्तर 1000 U/mL से भी ज्यादा हो सकता है — जो एडवांस कैंसर की ओर संकेत करता है  ४) CA 19-9 कब उपयोगी होता है? CA 19-9 कैंसर की शुरुआती जांच में सटीक नहीं है, लेकिन इसका उपयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है ,जैसे की  - पैंक्रियाटिक कैंसर का इलाज शुरू होने से पहले ही और बाद में भी मापा जाता है, जिस से इलाज का कितना असर हो रहा है। या नहीं - कैंसर दोबारा न हो - रोग की प्रगति को देखने के लिए: कैंसर फैल रहा है या कण्ट्रोल में है। निष्कर्ष : CA 19-9 का स्तर बढ़ जाना, अपने आप में कैंसर होने का संकेत है? उत्तर: नहीं  बढ़ा हुआ CA 19-9 जरूरी नहीं कि कैंसर ही हो। यह कई अन्य कारणों से भी बढ़ सकता है। यह सहायक टेस्ट है, न कि अंतिम निर्णय लेने वाला। सही डायग्नोसिस के लिए पूरी मेडिकल जांच और विशेषज्ञ की सलाह लेना जरूरी है।
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acute pancreas aur mesenteric lymph node ka ilaaj
१) एक्यूट पैंक्रियास और मेसेंटरिक लिंफ नोड का इलाज क्या है ? एक्यूट पैंक्रियास और मेसेंटरिक लिंफ नोड्स की सूजन दोनों ही पेट से जुड़ी हुयी गंभीर स्थितियाँ हैं। यह समस्याएं अक्सर एक-दूसरे से ही जुड़ी होती हैं अलग-अलग कारणों से हो सकती हैं। यदि समय पर उपचार न करे तो ये जान लेवा हो सकती हैं।  २) एक्यूट पैनक्रिएटाइटिस क्या है? पैनक्रिएटाइटिस पैंक्रियास की सूजन को कहते हैं। जब यह सूजन अचानक और तेजीसे होती है, तो इसे एक्यूट पैंक्रियास कहते है। यह एक खतरनाक स्थिति है और तुरन्त ही इलाज की जरुरत होती है। ३) एक्यूट पैनक्रिएटाइटिस के कौन-कौन से कारण है ? -Gallstones - ज्यादा शराब का सेवन करना  -कुछ दवाइयों का साइड इफ़ेक्ट -पेट की सर्जरी  ४)एक्यूट पैनक्रिएटाइटिस के कौन-कौन से लक्षण है ? एक्यूट पैनक्रिएटाइटिस के लक्षण निचे अनुसार हो सकते है जैसे की , - पेट के ऊपरी हिस्से में तेज दर्द का होना  -जी मिचलाना और उल्टी -बुखार  ५) मेसेंटरिक लिंफ नोड्स की सूजन क्या है? मेसेंटरिक लिंफ नोड्स, छोटी के आसपास में ही मौजूद लिम्फ नोड्स होते हैं। ये इम्यून सिस्टम का भाग हैं और संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। जब इनमें सूजन आती है तो इसे मेसेंटरिक लिंफ एडेनाइटिस कहते है  ६) मेसेंटरिक लिंफ नोड्स के कौन-कौन से लक्षण होते है ? - नाभि के आसपास में दर्द का होना -बुखार -उल्टी निष्कर्ष एक्यूट पैनक्रिएटाइटिस और मेसेंटरिक लिंफ नोड की सूजन दोनों ही गंभीर स्थितियाँ हैं लेकिन समय पर इलाज से पूरी तरह ठीक हो सकती हैं। अच्छी जीवनशैली, निदान और डॉक्टर की सलाह के अनुसार इलाज इन बीमारियों को नियंत्रण में रखने में मदद करता है।
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kabj gas acidity ka ilaaj
१) कब्ज, गैस और एसिडिटी का इलाज? वर्त्तमान समय के बदलते जीवनशैली, अनियमित खान-पान, और शारीरिक गतिविधियों की कमी के कारण से कब्ज, गैस और एसिडिटी जैसी पेट की समस्याएं आम बात हो गई हैं। ये समस्याएं छोटी लगती हैं, पर समय रहते इलाज न किया जाए, तो यह गंभीर रोगों का रूप ले सकती हैं।  -आज का आर्टिकल में हम जानेंगे कि इन समस्याओं के क्या कारण हैं, इनके लक्षण क्या हैं और घरेलू उपायों से कैसे इनका इलाज किया जा सकता है।  2) कब्ज क्या है? जब व्यक्ति को नियमित रूप से मल त्यागने में परेशानी होती है या मल पूरी तरह से बाहर नहीं निकलता है । आमतौर पर सप्ताह में तीन बार से कम शौच जाना कब्ज है।  कब्ज के कारण क्या है ? -फाइबर रहित भोजन -पानी की कमी से  -ज्यादा जंक फ़ूड खाना  -शारीरिक गतिविधि की कमी - चाय या कॉफी का सेवन कब्ज के लक्षण क्या होते है ? - पेट में गैस बनना - सिर में दर्द का होना  - मुह का स्वाद खराब हो जानाघरेलू उपाय ? -सुबह खाली पेट गुनगुना नींबू पानी पीना - फल, सब्जियां, ओट्स खाने में उपयोग करना -खूब पानी पिएं 2. गैस बनने के क्या कारण है? गैस बनने के कारण निचे अनुसार हो सकते है ,जैसे की , - मसालेदार भोजन खाना -भोजन को चबाए बिना ही जल्दी-जल्दी खा जाना  -कब्ज की स्थिति -कार्बोनेटेड ड्रिंक का सेवन गैस के लक्षण क्या है ? -पेट में सूजन और पेट फूलना  -डकार आना - उल्टी जैसा मन का होना ३) एसिडिटी क्या है? जब पेट में एसिड का ज्यादा स्राव होता है और वह ऊपर की ओर अन्ननली में आने लगता है, तो उसे एसिडिटी कहते हैं।एसिडिटी के कारण -अधिक चाय या कॉफी पीना  - मसालेदार भोजन - भोजन करने के बाद लेटनाएसिडिटी के लक्षण क्या है ? -सीने में जलन  -खट्टी डकारें -गले में जलन -पेट में जलन या दर्द
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homeopathy me bina operation pancreas ka ilaaj
१)पैंक्रियास का होमियोपैथी में बिना सर्जरी इलाज क्या है ? अग्न्याशय हमारे शरीर का मुख्या अंग है, जो की दो तरह से कार्य करता है : पाचन एंजाइम बनाना और इंसुलिन जैसे हार्मोन का निर्माण करना - जब पैंक्रियास में कोई समस्या आती है, जैसे कि पैंक्रियास की पथरी, या ट्यूमर, तो इसका असर हमारे पूरे पाचन तंत्र और शुगर कण्ट्रोल प्रणाली पर होता है २) होमियोपैथी और पैंक्रियास? होमियोपैथी वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली है, जो "समान को समान से ठीक किया जा सकता है" होमियोपैथी के सिद्धांत पर कार्य करती है। इसका उद्देश्य बीमारी के लक्षणों को जड़ से ठीक करना है। पैंक्रियास से संबंधित रोगों के लिए भी होमियोपैथी में कई औषधियाँ हैं, जो बिना सर्जरी के इलाज में मदद हो सकती हैं। 1. पैंक्रियाटाइटिस (Pancreatitis) जब पैंक्रियास में सूजन आ जाती है। इसके कारणों में शराब का सेवन, गॉलब्लैडर की पथरी, संक्रमण, शामिल हैं। पैंक्रियाटाइटिस होने पर कैसे लक्षण देखने को मिलते है ? पैंक्रियाटाइटिस होने पर निचे बताये अनुसार लक्षण देखने को मिलते है जैसे की  -मतली और उल्टी  -भूख में कमी होना  -वजन घट जाना -बुखार -दस्त -मधुमेह  -थकान या कमज़ोरी अग्नाशयशोथ के कारण क्या है ? अग्नाशयशोथ के कारण नीचे बताये गए है जैसे की , -पित्त की पथरी -तंबाकू का ज्यादा सेवन करना  -शराब का अत्यधिक सेवन - पारिवारिक इतिहास  2. क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस ? क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस लंबे समय तक बनी रहने वाली सूजन है, जिससे पैंक्रियास की काम करने में धीरे-धीरे कम हो जाता है - Chronic pancreatitis के मुख्य लक्षणों में बार-बार पेट में होने वाला दर्द, वजन कम होना और पाचन में समस्या है. ३) पैंक्रियाज को मजबूत कैसे करें? * आहार *  - हरी पत्तेदार सब्जियां : पालक, मेथी, जैसे हरी पत्तेदार सब्जियां पैंक्रियाज के लिए फायदेमंद हैं। - फल : अनार, अमरूद, सेब, और पपीता जैसे फल और सब्जियां फाइबर और विटामिन से भरपूर होते हैं, -प्रोटीन : लीन मीट, सोयाबीन, दही, और नट्स में प्रोटीन होता है,  -नारियल पानी : नारियल पानी पैंक्रियाज के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। -पानी : हर दिन 8-10 गिलास पानी पीना चाहिए, - व्यायाम : नियमित व्यायाम से ब्लड सर्कुलेशन होता है, जो पैंक्रियाज के लिए भी फायदेमंद होता है।
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ibs ka homeopathy me ilaaj
१) आईबीएस का इलाज क्या है? - IBS आम बीमारी है ,जो की बड़ी आंत को असर करती है, जब हम भोजन करते हैं तब भोजन को पाचन तंत्र में पहुंचाने की क्रिया के दौरान ये मांसपेशियां सिकुड़ने लगती हैं, लेकिन जब मांसपेशियां अधिक सिकुड़ जाती हैं ,तो पेट में गैस बनने लग जाती है और आंत में भी सूजन आती है जिसके कारण हमारी आंत कमजोर हो जाती है ,इसको IBS कहते है।     २) IBS के कारण क्या क्या हो सकते है? IBS के कई कारण हो सकते है जैसे की , -तनाव और चिंता -गलत तरह का खान-पान -हार्मोनल असंतुलन -आनुवंशिकता   ३) IBS होने के क्या-क्या लक्षण हो सकते है? IBS दुनिया भर के २०% लोगो को असर करती है। इसके लक्षण निचे अनुसार हो है,जैसे की - पेट में ऐंठन का होना  - कब्ज़ या दस्त - पेट फूल जाना -भूख में कमी लगना - वजन भी कम होना ४ ) IBS होने पर क्या खाने से दूर रहना चाहिए ? IBS में इन खाने वाली चीज़ों से बचना चाहिए जैसे की , - बीन्स, और मटर जैसे प्रोटीन और फ़ाइबर से भरपूर पदार्थ  - कार्बोहाइड्रेट -मूली, और टमाटर जैसी कच्ची सब्ज़ियां  -डेयरी उत्पाद में पनीर, क्रीम
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homeopathy me cancer ka upchaar
होम्योपैथी में कैंसर का उपचार: एक समग्र दृष्टिकोण कैंसर एक जटिल और घातक बीमारी है, जो असामान्य कोशिका वृद्धि के कारण होती है। आधुनिक चिकित्सा में कैंसर के उपचार के लिए सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी जैसे विकल्प उपलब्ध हैं। लेकिन कई लोग होम्योपैथी की ओर भी रुख कर रहे हैं, जो एक समग्र और प्राकृतिक उपचार पद्धति मानी जाती है। 1) होम्योपैथी की अवधारणा? होम्योपैथी एक वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली है, जो 'समरूपता के सिद्धांत' (Law of Similars) पर आधारित है। यह मान्यता रखती है कि जो पदार्थ स्वस्थ व्यक्ति में किसी विशेष बीमारी के लक्षण उत्पन्न कर सकता है, वही पदार्थ अत्यंत पतली मात्रा में लेकर रोगी के शरीर में उसकी प्राकृतिक उपचार प्रक्रिया को सक्रिय कर सकता है।  2) कैंसर में होम्योपैथी कैसे काम करती है? होम्योपैथी कैंसर को केवल एक शारीरिक समस्या के रूप में नहीं देखती, बल्कि इसे मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक असंतुलन का परिणाम मानती है। यह उपचार प्रक्रिया को चार प्रमुख तरीकों से प्रभावी बनाती है:  * रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना * - होम्योपैथी शरीर की प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में सहायता करती है, जिससे कैंसर कोशिकाओं के प्रसार को धीमा किया जा सकता है।  * लक्षणों में सुधार  -कैंसर के कारण उत्पन्न दर्द, सूजन, थकान और मानसिक तनाव को कम करने में होम्योपैथिक दवाएँ प्रभावी हो सकती हैं। * अवरुद्ध ऊर्जा प्रवाह को संतुलित करना  -होम्योपैथी शरीर के भीतर ऊर्जा प्रवाह को संतुलित करने का प्रयास करती है, जिससे शरीर की स्व-उपचार प्रणाली सक्रिय हो जाती है। * कीमोथेरेपी और रेडिएशन के दुष्प्रभावों को कम करना -होम्योपैथिक दवाएँ कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी के दुष्प्रभावों जैसे मतली, उल्टी, बाल झड़ना और कमजोरी को कम करने में सहायक हो सकती हैं। 3)होम्योपैथी और समग्र उपचार? होम्योपैथी कैंसर के लक्षणों का इलाज करने तक ही सीमित नहीं रहती, बल्कि यह हमारे पूरे शरीर को अच्छा बनाने पर ध्यान देती है। इसके तहत मरीज के जीवनशैली, खानपान और मानसिक स्थिति रोगी के उपचार में तेजी लाई जाती है सावधानियां और सीमाएं होम्योपैथी कई तरह के बीमारी या रोगों में लाभकारी है, लेकिन कैंसर जैसी स्थिति में इसे मुख्य चिकित्सा के रूप में अपनाने से पहले एक बार अनुभवी डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। कई बार कैंसर उन्नत अवस्था में होता है, जहां तत्काल सर्जरी या अन्य उपचार आवश्यक हो सकते हैं। 4) क्या होम्योपैथी कैंसर का पूर्ण इलाज कर सकती है? होम्योपैथी कैंसर का पूर्ण इलाज कर सकती है या नहीं, इस पर चिकित्सा जगत में मतभेद हैं। हालांकि, यह निश्चित रूप से कैंसर रोगियों की जीवन गुणवत्ता को सुधार सकती है और लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती है। यह उन मरीजों के लिए विशेष रूप से उपयोगी हो सकती है, जो पारंपरिक उपचार के साथ-साथ एक समग्र और कम हानिकारक उपचार की तलाश में हैं। निष्कर्ष होम्योपैथी एक प्राकृतिक और व्यक्तिगत चिकित्सा प्रणाली है, जो कैंसर के लक्षणों को कम करने और शरीर की प्राकृतिक उपचार प्रणाली को सक्रिय करने में सहायक हो सकती है। हालाँकि, कैंसर जैसी गंभीर बीमारी में पारंपरिक चिकित्सा के साथ होम्योपैथी को सहायक चिकित्सा के रूप में अपनाना अधिक सुरक्षित और प्रभावी हो सकता है। रोगी को हमेशा एक योग्य चिकित्सक से परामर्श करके ही होम्योपैथिक उपचार अपनाना चाहिए।
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dr pradeep kushwaha youtube faq section
Q1.मेरा अपेंडिक्स 6.7 एमएम का है क्या करना चाहिए दवाई से ठीक नहीं हो सकता है क्या? अपेंडिक्स का सेक्शन है वहां पर इन्होंने यह क्वेश्चन पूछा है देखिए अपेंडिसाइटिस मतलब जो अपेंडिक्स है उसमें इन्फ्लेमेशन होना बार-बार जिन केसेस में इंफ्लेमेटरी चेंस आता है मेडिसिन से थोड़ा सेट हो जाता है फिर आ जाता है उस केस में या फिर बहुत ज्यादा इंफ्लेमेशन आ गया है उस केस में इसे निकाल देने की सलाह दी जाती है और ज्यादातर लोग निकाल भी देते हैं लेकिन होम्योपैथिक मेडिसिन से अपेंडिसाइटिस के केसेस को विदाउट सर्जरी भी ठीक किया जा सकता है बहुत ही वेल एक्सपीरियंस डॉक्टर के अंडर में आप अपना ट्रीटमेंट ले सकते हैं जब इंफ्लेमेशन 6.7 एएम का इसे रिवर्स किया जा सकता है होम्योपैथिक मेडिसिन से 7 8 9 एमएम तक के केसेस को हम देखते हैं कि बहुत अच्छे से मेडिसिन से क्योर किया जा सकता है और सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती है लेकिन अपेंडिसाइटिस के केसेस थोड़े सेंसिटिव केस होते हैं आप सोच समझ के अपना इलाज शुरू करिए एक्सपीरियंस डॉक्टर के अंडर में क्योंकि जब यह साइज बढ़ता है तो इसका जो मैनेजमेंट रहता है पूरा दो या तीन दिन का ही गेम रहता है अगर आपने तीन दिन में केस को सेटल कर दिया तब तो आप बाहर आ जाएंगे लेकिन अगर सेटल नहीं होता है डिजीज बढ़ते जाती है तो आप फर्द कॉम्प्लिकेशन में पड़ सकते हैं इसलिए एक्सपीरियंस डॉक्टर जिसने ऑलरेडी इस तरह के केसेस को कई बार ठीक किया है उसके अंडर में अगर आप होम्योपैथिक ट्रीटमेंट लेते हो तो डेफिनेटली इसे विदाउट सर्जरी क्योर किया जा सकता है थैंक यू Q2.ये एक क्वेश्चन है क्या ऑटोइम्यून पैंक्रियाटाइटिस ठीक हो सकता है होम्योपैथी से ? सो हमारे अंदर ऑलरेडी हंड्रेड्स ऑफ पेशेंट है जो ऑटोइम्यून  पैंक्रियाटाइटिस से ग्रसित है और ब्रम होम्योपैथिक हीलिंग एंड रिसर्च सेंटर का ट्रीटमेंट ले रहे हैं आप जब अपने रिपोर्ट्स को देखेंगे उसमें एक रिपोर्ट होता है आईजीजी फ का यह रिपोर्ट उन ग्रुप के लोगों के लिए कराया जाता है देखने के लिए क्या वह ऑटोइम्यून पॉजिटिव पेशेंट तो नहीं है जिस किसी केस में य आईजीजी फ एलिवेटेड उनको ऑटोइम्यून पनक टाइटिस है सो जब इनके केस को अच्छे से समझा जाता है और उसके बाद उनकी जो मेडिसिन प्लान की जाती है मेडिसिन के साथ प्रॉपर डाट लाइफस्टाइल और यह बहुत ही इंपॉर्टेंट है कि ऑटो इम्यून डिजीज में आपका मेंटल हेल्थ अच्छा रहे क्योंकि स्ट्रेस भी एक इंपॉर्टेंट फैक्टर होता है जो इसको ट्रिगर करता रहता है तो अगर आप इसको समझते हैं और उसको मैनेज करते हैं उसको मैनेज करने के लिए हम प्रॉपर उनको गाइड करते हैं क्या-क्या स्टेप्स ध्यान रखने हैं और जब यह सारी ची चीजों को लेकर चला जाता है तो एक राइट होम्योपैथिक मेडिसिन डेफिनेटली आपको इस कंडीशन से बाहर निकाल देती है कितने ही पेशेंट है जिनको हमने ऑलरेडी ट्रीट किया है और उनका आईजी g4 का लेवल भी नॉर्मल लाया है अलोंग विद दैट उनकी जो पैथोलॉजिकल चेंजेज है वो रिपोर्ट वाइज भी नॉर्मल है और हेल्थ वाइज भी पेशेंट को किसी का किसी तरह का पेन या तकलीफ नहीं है सो अगर इसका मैं आपको आंसर करूं तो डेफिनेटली ऑटोइम्यून पनकटा इटिस को होम्योपैथिक मेडिसिन से क्योर करना पॉसिबल है थैंक यू मयंक खराड़ी जी का एक कमेंट है यू आर राइट मेरा भी हाल तुम्हारे जैसा था भाई बट प्रदीप सर से जुड़ने के बाद उनकी ट्रीटमेंट से बिल्कुल ठीक और नॉर्मल लाइफ जी रहा हूं इनकी वजह से य नंबर वन डॉक्टर ऑल इंडिया में यही कहूंगा मैं यह है सो मैं उन्हें दिल से थैंक यू कहना चाहूंगा मैं खराड़ी जी भी बहुत अच्छे से बहुत डिसिप्लिन वे में इन्होंने ट्रीटमेंट को फॉलो किया है और इनका केस एक्यूट नेक्रोलाइसिस का था और इस केस में पहले इनको मल्टीपल पॉकेट्स थे और ट्रीटमेंट के बाद से सारे पॉकेट रिजॉल्व हो गए इनके साइन एंड सिंटमोबाइल उसे शेयर किया थैंक यू Q3.ओवेरियन सिस्ट के इस वीडियो में एक क्वेश्चन है मुझे कुछ भी दर्द नहीं होता मैं एक नॉर्मल हूं रिलेशन टाइम में भी दर्द नहीं होता पीरियड भी टाइम से आता है फिर मुझे सिंपल सिस्ट हो गया नेचुरली कंसीव कर सकती हो ? सो हर तरह से नॉर्मल है लेकिन आप देख रहे हैं कि ओवरी में एक सिंपल सिस्ट हुआ है सिस्ट का साइज अगर नॉर्मल है मान लीजिए 3 बा 3 सेंटीमीटर का यहां पे आपने साइज नहीं लिखा है अगर साइज लिखे होते तो मैं आपको और अच्छे से गाइड करता बट मैं एक आपको मेरे एंड से एक अजमन बता दे रहा हूं कि यदि 3 बा 3 सेंटीमीटर या 3/4 सेंटीमीटर है या इस रेंज के आसपास का सिंपल सिस्ट रह रहा है और आपका क्वेश्चन है कि नेचुरली प्रेगनेंसी रह सकती है तो बिल्कुल रह सकती है नेचुरली प्रेगनेंसी रहेगी वो भी पॉसिबल है और इस सिस्ट के साथ प्रेगनेंसी कंटिन्यू आप करते हैं किसी अच्छे गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर के गाइडेंस में तो डेफिनेटली प्रेगनेंसी भी सेफ रहेगी और किसी तरह का प्रॉब्लम नहीं होगा लेकिन सिस्ट बड़े साइज का है और विद प्रेगनेंसी है तो आपको अपने गायनेकोलॉजिस्ट से सलाह लेना चाहिए और उसके मार्गदर्शन में आगे बढ़ना चाहिए थैंक यू
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homeopathy medicine kaise kaam karti hai?
१. होम्योपैथी मेडिसिन कैसे काम करती है? होम्योपैथी एक वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली है जो "समरूपता के सिद्धांत" (Law of Similars) पर आधारित है। इस सिद्धांत के अनुसार, जो पदार्थ स्वस्थ व्यक्ति में किसी विशेष रोग के लक्षण उत्पन्न करता है, वही पदार्थ बहुत ही सूक्ष्म मात्रा में लेकर रोगी में उन लक्षणों का उपचार कर सकता है। यह चिकित्सा प्रणाली 18वीं शताब्दी में जर्मन चिकित्सक सैमुएल हैनीमैन द्वारा विकसित की गई थी।   २. होम्योपैथी का सिद्धांत और कार्यप्रणाली? (1)समरूपता का नियम (Law of Similars) इस सिद्धांत के अनुसार, "जो चीज बीमारी उत्पन्न कर सकती है, वही उसे ठीक भी कर सकती है।" -उदाहरण के लिए, क्विनाइन (Cinchona Bark) मलेरिया जैसी बीमारी के लक्षण पैदा करता है, इसलिए होम्योपैथी में इसे मलेरिया के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है।  (२) अत्यधिक पतला (Ultra Dilution) और शक्ति प्रदान करना (Potentization) होम्योपैथिक दवाओं को प्राकृतिक स्रोतों (पौधे, खनिज, पशु उत्पाद) से तैयार किया जाता है और उन्हें बार-बार पतला (dilute) किया जाता है।  - इस प्रक्रिया को "पोटेंशिएशन" कहा जाता है, जिससे दवा में मूल पदार्थ के अणु नगण्य रह जाते हैं, लेकिन उसकी ऊर्जा या कंपन शरीर को प्रभावित करता है।  (३) शरीर की आत्म-उपचार शक्ति (Self-Healing Power) को बढ़ावा होम्योपैथी शरीर की प्राकृतिक रोग-प्रतिरोधक क्षमता (immunity) को बढ़ाकर उसे खुद से ठीक करने में मदद करती है। यह सिर्फ लक्षणों को दबाने के बजाय बीमारी के मूल कारण को ठीक करने पर ध्यान केंद्रित करती है।३.होम्योपैथी के कार्य करने का तरीका ? - ऊर्जा स्तर पर कार्य करती है  होम्योपैथिक दवाएं अत्यधिक पतली होती हैं, वे शरीर की ऊर्जा प्रणाली को संतुलित करने का काम करती हैं। यह जैव-ऊर्जा (Vital Force) को उत्तेजित करके शरीर को खुद से ठीक करने के लिए प्रेरित करती हैं।  - कोशिकाओं और अंगों पर प्रभाव  जब होम्योपैथिक दवा शरीर में जाती है, तो यह कोशिकाओं के स्तर पर कार्य करके उनके कार्यों को सामान्य बनाती है।  - बिमारी के मूल कारण पर काम  होम्योपैथी सिर्फ बाहरी लक्षणों को ठीक करने के बजाय बीमारी की जड़ तक पहुंचकर उसे ठीक करने का कार्य करती है। यह मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक स्तर पर कार्य करके समग्र स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करती है।  ४.होम्योपैथिक उपचार के फायदे? -सुरक्षित और प्राकृतिक – इसमें केमिकल्स नहीं होते, इसलिए यह शरीर के लिए सुरक्षित है।  -बच्चों और बुजुर्गों के लिए उपयुक्त – होम्योपैथी दवाएं सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए सुरक्षित हैं।  -पुरानी और जटिल बीमारियों में प्रभावी – एलर्जी, अस्थमा, त्वचा रोग, माइग्रेन, और आर्थराइटिस जैसी बीमारियों में लाभकारी होती हैं। -मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव – तनाव, चिंता, डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याओं में भी असरदार होती है।  ५ .क्या होम्योपैथी वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है? होम्योपैथी पर कई शोध हुए हैं, लेकिन वैज्ञानिक समुदाय में इसे लेकर मिश्रित राय है। कुछ अध्ययन होम्योपैथी को प्रभावी मानते हैं, जबकि कुछ इसे प्लेसिबो प्रभाव (Placebo Effect) मानते हैं। हालांकि, दुनियाभर में लाखों लोग इसे अपनाते हैं और इसका लाभ अनुभव कर चुके हैं।
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