यूरेथ्रल स्ट्रिक्चर एक आम लेकिन जटिल मूत्रमार्ग संबंधी रोग है, जिसमें यूरेथ्रा (मूत्रमार्ग) संकुचित हो जाती है। इससे पेशाब का प्रवाह भी बाधित होता है और रोगी को कई बार पेशाब में जलन होना , या रुकावट जैसी परेशानियाँ को झेलनी पड़ती हैं।
- यह पुरुषों में महिलाओं की तुलना में बहुत ही ज्यादा होता है, क्योंकि पुरुषों की यूरेथ्रा लंबी होती है।
-यह रोग समय पर इलाज न होने पर (किडनी) और मूत्राशय को नुकसान भी पहुंचा सकती है, इसलिए इसका समय पर निदान और उपचार बेहद ज़रूरी है।
२) यूरेथ्रल स्ट्रिक्चर के क्या क्या कारण होते है ?
यूरेथ्रल स्ट्रिक्चर के कारन निचे बताये अनुसार हो सकते है - जैसे की
- चोट या आघात: पेल्विस पर लगी चोट, दुर्घटना या गिरने से - पूर्व सर्जरी या कैथेटर का बार-बार उपयोग - संक्रमण : जैसे गोनोरिया या क्लैमाइडिया
- मूत्र में बार-बार इन्फेक्शन होना
३ ) यूरेथ्रल स्ट्रिक्चर के क्या क्या लक्षण होते है ?
यूरेथ्रल स्ट्रिक्चर के लक्षण निचे अनुसार होते है , -पेशाब करने में कठिनाई -पतली या धीमी पेशाब की धार
-बार-बार पेशाब लगना -मूत्राशय पूरी तरह खाली न हो पाना -पेशाब के बाद जलन या दर्द -पेशाब में रक्त आना
अगर समय पर इलाज न किया जाए, तो गुर्दे में सूजन (Hydronephrosis), बार-बार संक्रमण, या यहां तक कि किडनी फेलियर तक हो सकता है।
४ ) निदान (Diagnosis)
-यूरेथ्रोग्राफी (RUG) – मूत्रमार्ग की एक्स-रे जांच -सिस्टोस्कोपी – एंडोस्कोप द्वारा मूत्रमार्ग का निरीक्षण -अल्ट्रासाउंड – मूत्राशय और किडनी की स्थिति जानने के लिए
-यूरीन टेस्ट – संक्रमण का पता लगाने के लिए
-फ्लो मीट्री – पेशाब के प्रवाह की गति मापना
५) उपचार (Treatment)
यूरेथ्रल स्ट्रिक्चर का उपचार उसकी गंभीरता, लम्बाई और स्थान के अनुसार तय किया जाता है। नीचे प्रमुख उपचार विकल्प दिए गए हैं:
1. यूरेथ्रल डाइलेशन (Urethral Dilation)
यह एक सरल प्रक्रिया है जिसमें विशेष उपकरणों (Dilators) की मदद से संकरी हुई मूत्रनली को धीरे-धीरे चौड़ा किया जाता है।
- कब उपयोगी: प्रारंभिक अवस्था जब स्ट्रिक्चर छोटा हो
2. इंडोस्कोपिक यूरोथ्रोटॉमी (VIU – Visual Internal Urethrotomy)
इस प्रक्रिया में कैमरे द्वारा मूत्रमार्ग के अंदर जाकर संकरी जगह को चीरा लगाकर खोला जाता है।
कब उपयोगी: स्ट्रिक्चर छोटा (1 से 2 सेमी तक) हो
लाभ : सामान्य एनेस्थीसिया में होती है
-
कुछ घंटों में घर भेजा जा सकता है
नुकसान:
कई मामलों में दोबारा होने की संभावना रहती है
3 . कैथेटर थैरेपी और स्टेंटिंग
कुछ मामलों में मूत्र प्रवाह को बनाए रखने के लिए कैथेटर या स्टेंट का अस्थायी प्रयोग किया जाता है।
* जीवनशैली और सावधानियाँ* -पेशाब को रोके नहीं
- पर्याप्त पानी पिएं - यौन संबंधों में सुरक्षा बरतें